मंगलवार, 26 अगस्त 2008

संजीव भाई जोहार !

आपके सुझाव रूपी आदेश के अनुपालन का प्रयत्न कर रहा हूँ, कुछ तकनीकी अड़चन भी आ रही हैं अतएव जो यथाशीघ्र संभव हो सका है, आप तक पहुँचाने का प्रयास है। हाँ आप चिंता करते रहेंगे तो परिमार्जित होता रहेगा.मेरे पूर्व के जिज्ञासाओं का उत्तर नहीं मिला है.....ईश्वर आपके भागीरथी प्रयास के लिए साधन और साध्य उपलब्ध कराएँ, यही कामना है.!

आपका,समीर.....

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अंतर्मन

मेरो मन अनत कहाँ सुख पायो, उडी जहाज को पंछी फिरि जहाज को आयो.....
जब ... कीबोर्ड के अक्षरों संकेतों के साथ क्रीडा करता हूँ यह कभी उत्तेजना, कभी असीम संतोष, कभी सहजता, तो कभी आक्रोश के लिए होता है. और कभी केवल अपने समीपता को भाँपने के लिए...

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